
पंजाब की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है — फ्री बिजली योजना। आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार ने सत्ता में आने के बाद राज्य के लाखों घरेलू उपभोक्ताओं को हर महीने 300 यूनिट तक फ्री बिजली देने की घोषणा की थी। इस योजना से लोगों को राहत जरूर मिली, लेकिन अब केंद्र सरकार ने राज्य को लेकर अहम फैसला लेते हुए तीन विकल्प दिए हैं।केंद्र सरकार के मुताबिक, पंजाब सरकार पर बिजली सब्सिडी का भारी बोझ बढ़ता जा रहा है। राज्य का बजट पहले से घाटे में है और बिजली कंपनियों की हालत भी चिंताजनक बताई जा रही है। इसी वजह से वित्त मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय ने संयुक्त रूप से राज्य सरकार को पत्र भेजकर कहा है कि या तो मौजूदा योजना में बदलाव करे, या बिजली सब्सिडी का नया रोडमैप बनाए।केंद्र के तीन मुख्य सुझावपहला, राज्य केवल गरीब और जरूरतमंद वर्ग तक ही फ्री बिजली की सुविधा सीमित करे। यानी, जिन लोगों की आमदनी तय सीमा से अधिक है या जिनके पास कई कनेक्शन और बड़े घर हैं, उन्हें अब मुफ्त बिजली का लाभ नहीं मिलेगा।दूसरा, राज्य सरकार चाहे तो सब्सिडी का बोझ खुद वहन करे और बिजली कंपनियों का भुगतान समय पर करे, ताकि बिजली की सप्लाई और बुनियादी ढांचे पर असर न पड़े।तीसरा, राज्य फ्री बिजली योजना को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने पर विचार करे, जिससे आर्थिक दबाव घट सके और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके।मान सरकार का जवाबमुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र के इस प्रस्ताव पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों ने उन्हें मुफ्त बिजली का वादा पूरा करने के लिए चुना था और उनकी सरकार आम जनता के हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगी।उन्होंने कहा — “हमने किसानों और आम परिवारों के लिए यह योजना लागू की क्योंकि बिजली बिल गरीबों पर बहुत बड़ा बोझ बन गया था। यदि केंद्र वाकई जनता की मदद करना चाहता है, तो उसे राज्य की वित्तीय सहायता करनी चाहिए, न कि योजनाओं पर रोक लगानी चाहिए।”पंजाब में बिजली सब्सिडी का असरवर्तमान में पंजाब में करीब 90 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को फ्री बिजली का लाभ मिल रहा है। हर महीने राज्य सरकार लगभग 1600 से 1800 करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में खर्च कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खर्च लंबे समय में राज्य की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डाल सकता है।आर्थिक जानकारों का कहना है कि यदि पंजाब सरकार जल्द कोई वैकल्पिक नीति नहीं अपनाती, तो आने वाले वर्षों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार योजनाओं पर इसका असर पड़ सकता है। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस और बीजेपी ने भी इस मुद्दे पर मान सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।जनता की प्रतिक्रियालोगों में इस खबर को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया है। कुछ उपभोक्ता कह रहे हैं कि फ्री बिजली उनके जीवन का बड़ा सहारा है, जबकि अन्य मानते हैं कि राज्य को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए ताकि विकास योजनाओं के लिए भी फंड उपलब्ध हो सके।पंजाब में आने वाले महीनों में यह मुद्दा एक बड़ा राजनीतिक बहस का विषय बन सकता है। अब देखना यह है कि क्या मान सरकार केंद्र के सुझाव मानती है या फ्री बिजली योजना को जारी रखती है।



